लेते हुए चाय की दो दो चुस्कियां
बाँटते हैं अपने अपने अनुभव,किस्से और सपने
इससे पहले की
अनुभव,बाँटते बाँटते बंट जाए
किस्से, सुनाते सुनाते
हो जायें बासी और सपने देखते- देखते
सपने बन जायें
आओ दोस्त!!!!!
आओ दोस्त ! एक बार फिर
तय करते हैं वो सफर
जिस पर सीखा था हमने
चलना और चलना
ऐसे, जैसे
हमेशा चलते ही रहना हो
राह की धूल, गंध , रंग समेटे
वहां तक जहाँ
अगला तिराहा पड़ता है
जो साक्छी है उस वादे का, की
जब -जब भूल जायेंगे हम
चलना
शुरू करेंगे सफर , फिर वहीं से
तो आओ दोस्त !!!!
aye hai, kya baat hai!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंtum aaoge ki hum hi aayen!!!!!!!!!!
tum hi aao
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