रंग गाढ़े हो जाते हैं
सोमूदा के हाथों में आकर
रंगों को हल्के में नहीं लेते वो
रंग उनके लिए सपने नहीं
हकीकत हैं
दुनिया देखते हैं वो इन चटख रंगों में
यहाँ आते ही असमान हो जाता है
गाढ़ा नीला
और सुर्ख लाल हो उठते हैं प्रभाकर
उठने से पहले कूची
गाढ़ा कर जाती है पन्नों को
सूर्य से चलकर उनकी आँखों तक
आने से पहले रोशनी
बिखर जाती है
इन्द्रधनुष से भी ज्यादा रंगों में
सबसे ज्यादा गाढ़े अंधेरे के रंग में भी
कुछ दिखता है सोमूदा को
काला रंग
बयां करता है यहाँ खूबसूरती
जीवन की
खूब गाढ़े रंगों से रंगी दुनिया के बीच
यहाँ मानव काला ही दिखता है
लोगों को भी सोमूदा शायद
रंगों से ही पहचानते हैं, और
व्यथित हो उठते हैं मिलकर
किसी बेमेल रंग से
लेकिन सुख-दुःख के खूब गाढ़े रंग जब छलकते हैं
तो सोमूदा पानी में घोलते हैं
थोड़ा सा नमक, थोड़ी सी नींबू
संवेदनाओं के खूब गाढ़े रंगों से
बने हैं सोमूदा
सोमूदा के हाथों में आकर
रंगों को हल्के में नहीं लेते वो
रंग उनके लिए सपने नहीं
हकीकत हैं
दुनिया देखते हैं वो इन चटख रंगों में
यहाँ आते ही असमान हो जाता है
गाढ़ा नीला
और सुर्ख लाल हो उठते हैं प्रभाकर
उठने से पहले कूची
गाढ़ा कर जाती है पन्नों को
सूर्य से चलकर उनकी आँखों तक
आने से पहले रोशनी
बिखर जाती है
इन्द्रधनुष से भी ज्यादा रंगों में
सबसे ज्यादा गाढ़े अंधेरे के रंग में भी
कुछ दिखता है सोमूदा को
काला रंग
बयां करता है यहाँ खूबसूरती
जीवन की
खूब गाढ़े रंगों से रंगी दुनिया के बीच
यहाँ मानव काला ही दिखता है
लोगों को भी सोमूदा शायद
रंगों से ही पहचानते हैं, और
व्यथित हो उठते हैं मिलकर
किसी बेमेल रंग से
लेकिन सुख-दुःख के खूब गाढ़े रंग जब छलकते हैं
तो सोमूदा पानी में घोलते हैं
थोड़ा सा नमक, थोड़ी सी नींबू
संवेदनाओं के खूब गाढ़े रंगों से
बने हैं सोमूदा