छुप रहा हूँ आजकल
अजानी भाषाओं के खोल में
जहाँ अक्षरों, शब्दों के कोई अर्थ नहीं
एक अक्षर, एक शब्द बनकर
छुप रहा हूँ मैं
अनगिनत चीजों से भरी इस दुनिया में
एक चीज बनकर
छुप रहा हूँ मैं
छुप रहा हूँ इस वक़्त से, हर पल से
जहाँ किसी समय कोई समय नहीं
तमाम समय के बीच
असमय बनकर
छुप रहा हूँ मैं
अजानी भाषाओं के खोल में
जहाँ अक्षरों, शब्दों के कोई अर्थ नहीं
एक अक्षर, एक शब्द बनकर
छुप रहा हूँ मैं
अनगिनत चीजों से भरी इस दुनिया में
एक चीज बनकर
छुप रहा हूँ मैं
छुप रहा हूँ इस वक़्त से, हर पल से
जहाँ किसी समय कोई समय नहीं
तमाम समय के बीच
असमय बनकर
छुप रहा हूँ मैं
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें